- राजव्यवस्था
- 2025-12-25
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भूमिका स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी—आर्थिक पिछड़ापन, गरीबी, अशिक्षा और बेरोज़गा...
भूमिका पिछले दशक में भारत ने रक्षा उत्पादन और रक्षा निर्यात के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2013–14 में भारत क...
एक सफल रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उन गलतियों से बचना है जो आपकी मेहनत को कमजोर करती हैं। सरकारी परीक्षा केवल...
मध्य प्रदेश की नदियाँ, जैसे नर्मदा, चम्बल, और सोन, केवल जलस्रोत नहीं हैं, बल्कि ये राज्य की अर्थव्यवस्था और पारिस्थि...
भाग 1: राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में करीब 11 राष्ट्रीय उद्यान हैं। नीचे कुछ प्रमुख उद्यान दिए गए हैं मध्य प्रदेश...
मध्य प्रदेश, अपनी विविधतापूर्ण भूवैज्ञानिक संरचना, पर्वत श्रृंखलाओं और पठारों के लिए प्रसिद्ध है। इस ब्लॉग में ह...
हिमालय पर्वत श्रृंखला और भारत के अन्य प्रमुख पर्वत तंत्र हमारी धरती के सबसे महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक और पारिस्थित...
मध्य प्रदेश, अपनी प्रशासनिक सुविधा के लिए 10 संभागों (Divisions) और 55 जिलों (अक्टूबर 2024 की स्थिति के अनुसार, इसमें नए जिले भी श...
भारत, जिसे इंडिया और हिंदुस्तान के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण एशिया में स्थित एक विशाल और विविध देश है। यह विश्व ...
मध्य प्रदेश, जिसे "भारत का हृदय" कहा जाता है, का वर्तमान स्वरूप एक लंबी और ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है। स्वतंत्र...
भारत के मध्य में स्थित होने के कारण मध्य प्रदेश को 'हृदय प्रदेश' के नाम से जाना जाता है। यह राज्य अपनी भौगोलिक स्थित...
मध्य प्रदेश, अपनी प्रशासनिक सुविधा के लिए 10 संभागों (Divisions) और 55 जिलों (अक्टूबर 2024 की स्थिति के अनुसार, इसमें नए जिले भी शामिल हैं) में बंटा हुआ है। इन संभागों का गठन राज्य के पुनर्गठन और समय के साथ प्रशासनिक ज़रूरतों को देखते हुए किया गया है। गठन से समय के संभाग: एक ऐतिहासिक झलक 1 नवंबर 1956 को जब नए मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ, तब इसमें 8 संभाग और 43 जिले थे। समय के साथ, प्रशासनिक सुधारों और जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए नए संभागों का निर्माण किया गया। संभाग का नाम गठन वर्ष/महत्वपूर्ण परिवर्तन पुनर्गठन के बाद स्थिति जबलपुर 1956 (गठन के समय) सबसे बड़ा संभाग (क्षेत्रफल के अनुसार) ग्वालियर 1956 (गठन के समय) - इंदौर 1956 (गठन के समय) सबसे अधिक जिलों वाला संभाग रीवा 1956 (गठन के समय) - भोपाल 1956 (गठन के समय) 1976 में शाजापुर को उज्जैन संभाग में शामिल किया गया। सागर 1956 (गठन के समय) - उज्जैन 1976 शाजापुर जिले को शामिल करने के बाद बना। चंबल 1980 - शहडोल 14 जून 2008 नवीनतम संभागों में से एक। नर्मदापुरम (पूर्व में होशंगाबाद) 1972 (होशंगाबाद संभाग के रूप में), अगस्त 2008 (नाम परिवर्तन) मुख्यालय होशंगाबाद से नर्मदापुरम। वर्तमान संभाग और उनमें जिलों की संख्या (55 जिलों के अनुसार) मध्य प्रदेश में वर्तमान में 10 संभाग हैं। संभाग का नाम कुल जिले संभाग के अंतर्गत जिले इंदौर 8 इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, धार। जबलपुर 9 जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, पांढुरना (नए जिलों के कारण संख्या में परिवर्तन संभव है) भोपाल 5 भोपाल, रायसेन, राजगढ़, सीहोर, विदिशा। ग्वालियर 5 ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया। रीवा 6 रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, मऊगंज, मैहर। (नए जिलों के कारण संख्या में परिवर्तन संभव है) सागर 6 सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी। उज्जैन 7 उज्जैन, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, रतलाम, मंदसौर, नीमच। नर्मदापुरम 3 नर्मदापुरम (होशंगाबाद), हरदा, बैतूल। चंबल 3 मुरैना, श्योपुर, भिंड शहडोल 3 शहडोल, उमरिया, अनूपपुर नोट: मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं (जैसे मऊगंज, मैहर और पांढुरना)। नवीनतम आधिकारिक घोषणाओं के अनुसार जिलों की संख्या 55 तक पहुँच चुकी है, जिससे संभागों के अंतर्गत जिलों की संख्या ऊपर दी गई तालिका से भिन्न हो सकती है। मध्य प्रदेश संभाग: 10 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) 1. मध्य प्रदेश में वर्तमान में कुल कितने संभाग हैं? (A) 9 (B) 10 (C) 11 (D) 8 2. मध्य प्रदेश राज्य के गठन (1 नवंबर 1956) के समय कितने संभाग थे? (A) 8 (B) 9 (C) 10 (D) 7 3. क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग कौन सा है? (A) इंदौर (B) भोपाल (C) जबलपुर (D) सागर 4. नर्मदापुरम संभाग का पुराना नाम क्या था? (A) भोपाल संभाग (B) होशंगाबाद संभाग (C) रीवा संभाग (D) उज्जैन संभाग 5. शहडोल संभाग का गठन किस वर्ष किया गया था? (A) 2003 (B) 2005 (C) 2008 (D) 1998 6. निम्नलिखित में से कौन सा संभाग सबसे कम जिलों वाला है? (A) चंबल (B) इंदौर (C) ग्वालियर (D) रीवा 7. इंदौर संभाग में जिलों की संख्या कितनी है (लगभग)? (A) 5 (B) 6 (C) 7 (D) 8 8. किस संभाग में भोपाल, रायसेन और विदिशा जिले शामिल हैं? (A) उज्जैन (B) भोपाल (C) ग्वालियर (D) नर्मदापुरम 9. मध्य प्रदेश के पुनर्गठन (वर्ष 2000) के बाद बनाया गया संभाग कौन सा है? (A) जबलपुर (B) रीवा (C) शहडोल (D) सागर 10. "मैहर" जिला किस संभाग के अंतर्गत आता है (नवीनतम स्थिति के अनुसार)? (A) रीवा (B) जबलपुर (C) सागर (D) शहडोल उत्तरमाला (Answers) (B) 10 (A) 8 (C) जबलपुर (B) होशंगाबाद संभाग (C) 2008 (A) चंबल (नर्मदापुरम और शहडोल के साथ 3-3 जिले) (D) 8 (नवीनतम जिलों को छोड़कर) (B) भोपाल (C) शहडोल (A) रीवा (सतना से अलग होकर, हालांकि कुछ स्रोतों में सतना के माध्यम से रीवा संभाग या अलग संभाग का उल्लेख हो सकता है, लेकिन रीवा संभाग इसका सबसे निकटतम है)
अगर आप शिक्षक बनने की चाह रखते हैं, तो आप यह अवश्य जानना चाहते होंगे कि किस राज्य में शिक्षकों कितनी सैलरी मिलती है और कौन-से भत्ते मिलते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको यह समझााने का प्रयास करेंगे: PRT (Primary Teacher) TGT (Trained Graduate Teacher) PGT (Post Graduate Teacher) सबसे पहले हम सैलरी तुलना — Central Government, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh और Rajasthan Government में करते हैं- 1. शिक्षक पदों की मूल जानकारी पद पूरा नाम कक्षा शैक्षिक योग्यता PRT प्राथमिक शिक्षक कक्षा 1–5 12वीं + D.El.Ed/B.Ed + CTET/REET TGT प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक कक्षा 6–10 स्नातक + B.Ed + CTET/REET PGT स्नातकोत्तर शिक्षक कक्षा 11–12 परास्नातक + B.Ed + CTET/REET 2. वेतन तुलना: Central, MP, UP और Rajasthan में पद वेतन स्तर Central Govt. MP Govt. UP Govt. Rajasthan Govt. PRT Level-6 / Grade Pay ₹4200 ₹45K – ₹55K ₹28K – ₹32K ₹42K – ₹48K ₹37K – ₹42K TGT Level-7 / Grade Pay ₹4600 ₹55K – ₹65K ₹35K – ₹40K ₹52K – ₹60K ₹42K – ₹48K PGT Level-8 / Grade Pay ₹4800 ₹65K – ₹75K ₹40K – ₹45K ₹58K – ₹70K ₹52K – ₹58K नोट: यह सैलरी कुल वेतन है जिसमें DA, HRA, TA, NPS शामिल होते हैं। राजस्थान में शिक्षक भर्ती REET/RTET या RPSC के माध्यम से होती है। भत्ते और सुविधाएं सुविधा Central Govt. MP Govt. UP Govt. Rajasthan Govt. महंगाई भत्ता (DA) ✅ ✅ ✅ ✅ मकान किराया भत्ता (HRA) ✅ ✅ ✅ ✅ यात्रा भत्ता (TA) ✅ ✅ ✅ ✅ चिकित्सा सुविधा ✅ सीमित सीमित सीमित LTC सुविधा ✅ ❌ ❌ ❌ पेंशन/NPS ✅ ✅ ✅ ✅ प्रमोशन की व्यवस्था PRT ➡️ TGT ➡️ PGT ➡️ वरिष्ठ व्याख्याता ➡️ प्राचार्य ➡️ जिला शिक्षा अधिकारी केंद्रीय संस्थानों (KVS/NVS) में प्रमोशन ज्यादा संरचित है। राज्य सरकारों में भी प्रमोशन होते हैं लेकिन प्रक्रिया धीमी हो सकती है। निष्कर्ष: किसे चुने? श्रेणी सर्वोत्तम विकल्प उच्च सैलरी Central Govt. स्थानीयता व संतुलन Rajasthan Govt. / UP Govt. आरंभिक सुविधा और कार्यस्थिरता Central & Rajasthan Govt. कम वेतन लेकिन अधिक पद MP Govt. 📝 सलाह यदि आपकी प्राथमिकता अच्छी सैलरी और सुविधाएं हैं: KVS, NVS, DSSSB जैसे केंद्रीय विद्यालयों की तैयारी करें। अगर आप राजस्थान में रहकर स्थायी नौकरी चाहते हैं, तो REET + RPSC 2nd Grade / 1st Grade Teacher की तैयारी करें। UP/MP के लिए TET और भर्ती बोर्ड की परीक्षाएं दें।
क्या आप फुल-टाइम जॉब करते हुए भी सरकारी नौकरी का सपना देख रहे हैं? क्या आपकी व्यस्त दिनचर्या आपको पढ़ाई करने से रोक रही है? अगर हाँ, तो यह लेख सिर्फ आपके लिए है। आज लाखों युवा ऐसे हैं जो दिन में 10 घंटे की प्राइवेट नौकरी करते हैं और साथ ही चाहते हैं कि एक दिन उन्हें स्थायी, सुरक्षित और सम्मानजनक सरकारी नौकरी मिले। लेकिन समस्या आती है समय की कमी, थकान और फोकस की कमी की। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे आप नौकरी के साथ भी प्रभावशाली तरीके से सरकारी नौकरी की तैयारी कर सकते हैं – बिना किसी कोचिंग और बिना नौकरी छोड़े। 1. समय नहीं है, तो समय बनाइए – यही असली योजना है सरकारी नौकरी की तैयारी कोई चमत्कार नहीं, बल्कि एक योजना है। अगर आप दिन में 10 घंटे काम करते हैं, तब भी आपके पास 14 घंटे बाकी होते हैं। ऐसे करें समय का विभाजन: सुबह उठकर 2 से 1.5 घंटे पढ़ाई करें (4:30 AM – 6:30 AM) लंच ब्रेक में 15-30 मिनट करें रिवीजन या करंट अफेयर्स पढ़ें ऑफिस के बाद 2 घंटे पढ़ाई करें (8:00 PM – 10:00 PM) रविवार और छुट्टियों का उपयोग "Revision + Mock Test" में करें सप्ताह में सिर्फ 20–25 घंटे पढ़ाई भी आपको सरकारी नौकरी दिला सकती है – अगर आप नियमित और केंद्रित रहें। 2. स्मार्ट स्टडी करें, हर टॉपिक की गहराई में न जाएं ज्यादा नहीं, सही पढ़ाई जरूरी है। जितना समय आपके पास है, उसका उपयोग रणनीतिक ढंग से करें। NCERT की किताबों से बेसिक क्लियर करें हर विषय के 60–70% स्कोर देने वाले टॉपिक्स पर फोकस करें वीडियो लेक्चर या ऑडियो नोट्स सुनें – यात्रा या खाली समय में खुद के नोट्स बनाएं ताकि रिवीजन आसान हो 3. सिलेबस को समझना ही तैयारी का पहला चरण है आपका आधा समय बच सकता है यदि आप जानते हैं क्या पढ़ना है और क्या छोड़ना है। परीक्षा का सिलेबस डाउनलोड करें और टॉपिकवाइज ब्रेक करें हर हफ्ते एक विषय चुनें – जैसे सोमवार से बुधवार: गणित, गुरुवार से शनिवार: सामान्य ज्ञान रविवार को पूरा रिवीजन और मॉक टेस्ट 4. मॉक टेस्ट ही आपकी असली तैयारी है बहुत से उम्मीदवार महीनों पढ़ते हैं लेकिन परीक्षा में फेल हो जाते हैं, क्योंकि उन्होंने मॉक टेस्ट नहीं दिए। हफ्ते में कम से कम एक फुल मॉक टेस्ट दें पिछले वर्ष के प्रश्नपत्र जरूर हल करें गलतियों की सूची बनाएं और उन्हें बार-बार रिवाइज करें 5. डिजिटल टूल्स को बनाएं अपनी ताकत आजकल मोबाइल और इंटरनेट आपकी सबसे बड़ी कोचिंग बन सकते हैं। यूट्यूब चैनल, ऐप्स और examintro.com जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़े रहें डेली करेंट अफेयर्स पढ़ने के लिए न्यूज ऐप या ई-पेपर का प्रयोग करें शॉर्ट नोट्स और क्विज़ मोबाइल में रखें – समय बचेगा 6. अपने स्वास्थ्य को न करें नजरअंदाज अगर आप थके रहेंगे तो दिमाग भी थका रहेगा। कम से कम 6–7 घंटे की नींद लें रोजाना 15-20 मिनट टहलें या योग करें तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन या पॉजिटिव रूटीन अपनाएं 7. मोटिवेशन खुद पैदा करें – दूसरों से प्रेरणा लें आप नौकरी कर रहे हैं, इसका मतलब है आप अनुशासन और ज़िम्मेदारी जानते हैं – अब बस दिशा चाहिए। सफल लोगों की कहानियां पढ़ें जो नौकरी करते हुए सरकारी अफसर बने अपना टाइम टेबल दीवार पर लगाएं और हर दिन उसे फॉलो करें सोशल मीडिया से दूर रहें या सिर्फ पढ़ाई से संबंधित सामग्री देखें निष्कर्ष: सीमित समय में भी सीमित नहीं हैं आपके सपने सरकारी नौकरी की तैयारी कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे केवल बेरोजगार लोग ही कर सकते हैं। अगर आप नौकरी कर रहे हैं, तो आपके पास आत्मनिर्भरता है, अनुशासन है और अब बस जरूरत है सही रणनीति और निरंतरता की। आज ही से शुरुआत करें, एक-एक घंटे को गंभीरता से लें, और कुछ महीनों में आप खुद में बदलाव महसूस करेंगे। सरकारी नौकरी की तैयारी से जुड़े अपडेट, नोट्स, प्रैक्टिस सेट और गाइडेंस के लिए नियमित रूप से विज़िट करें www.examintro.com
भारत के मध्य में स्थित होने के कारण मध्य प्रदेश को 'हृदय प्रदेश' के नाम से जाना जाता है। यह राज्य अपनी भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। मध्य प्रदेश की सीमाएँ पूरी तरह से स्थलीय सीमाएँ (Landlocked) हैं, यानी यह किसी भी समुद्री सीमा को नहीं छूता है। इसकी सीमा पाँच पड़ोसी राज्यों को स्पर्श करती है, जिससे इसकी बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य का निर्माण होता है। 1. मध्य प्रदेश की स्थलीय सीमा और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की स्थलीय सीमा कुल 5 पड़ोसी राज्यों को स्पर्श करती है। क्रम पड़ोसी राज्य दिशा 1. उत्तर प्रदेश उत्तर और उत्तर-पूर्व 2. राजस्थान उत्तर-पश्चिम 3. महाराष्ट्र दक्षिण 4. गुजरात पश्चिम 5. छत्तीसगढ़ पूर्व और दक्षिण-पूर्व 2. अविभाजित और विभाजित मध्य प्रदेश (सीमाओं के संदर्भ में) अविभाजित मध्य प्रदेश (1 नवंबर 2000 से पहले): छत्तीसगढ़ के विभाजन से पहले, मध्य प्रदेश की सीमाएँ कुल 7 राज्यों को स्पर्श करती थीं। ये राज्य थे: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, और ओडिशा (तत्कालीन)। विभाजित / वर्तमान मध्य प्रदेश (1 नवंबर 2000 के बाद): छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद, मध्य प्रदेश की सीमाएँ अब केवल 5 राज्यों को स्पर्श करती हैं। (उपर्युक्त सूची देखें)। 3. पड़ोसी राज्यों की सीमा को स्पर्श करने वाले मध्य प्रदेश के जिले मध्य प्रदेश के कुल 37 जिले पड़ोसी राज्यों की सीमाओं को स्पर्श करते हैं (नवीनतम प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार 55 जिलों में से)। यहाँ प्रत्येक पड़ोसी राज्य से लगे मध्य प्रदेश के जिलों की सूची दी गई है: अ. गुजरात (न्यूनतम सीमा) गुजरात राज्य मध्य प्रदेश के 2 जिलों को स्पर्श करता है: झाबुआ अलीराजपुर ब. राजस्थान राजस्थान राज्य मध्य प्रदेश के लगभग 10 जिलों को स्पर्श करता है: मुरैना श्योपुर शिवपुरी गुना राजगढ़ अगर-मालवा नीमच मंदसौर रतलाम झाबुआ स. उत्तर प्रदेश (सर्वाधिक सीमा) उत्तर प्रदेश राज्य मध्य प्रदेश के सर्वाधिक 14 जिलों को स्पर्श करता है: मुरैना भिंड दतिया शिवपुरी अशोकनगर सागर टीकमगढ़ निवाड़ी छतरपुर पन्ना सतना रीवा सीधी सिंगरौली द. छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश के लगभग 7 जिलों को स्पर्श करता है: सिंगरौली सीधी शहडोल अनूपपुर डिंडोरी बालाघाट मंडला (कुछ स्रोतों में केवल 6 जिले, लेकिन मंडला और डिंडोरी भी सीमा बनाते हैं, बालाघाट भी शामिल है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार 7 जिले मान्य हैं।) य. महाराष्ट्र महाराष्ट्र राज्य मध्य प्रदेश के लगभग 9 जिलों को स्पर्श करता है: बालाघाट सिवनी छिंदवाड़ा बैतूल खंडवा बुरहानपुर खरगोन बड़वानी अलीराजपुर 4. भू-आवेष्टित (Landlocked) जिले भू-आवेष्टित जिले वे होते हैं जिनकी सीमाएँ किसी भी अन्य राज्य या अंतर्राष्ट्रीय सीमा को नहीं छूती हैं। वे पूरी तरह से राज्य की सीमाओं के भीतर स्थित होते हैं। मध्य प्रदेश में कुल 18 जिले (लगभग) भू-आवेष्टित हैं। भू-आवेष्टित जिलों की सूची: भोपाल विदिशा रायसेन सीहोर नर्मदापुरम हरदा देवास शाजापुर इंदौर धार जबलपुर नरसिंहपुर दमोह कटनी ग्वालियर मंडला उमरिया (पंधुरना) (नवीनतम जिले के रूप में इसकी स्थिति जाँचनीय है, पर मुख्य रूप से 17-18 जिले भू-आवेष्टित हैं।) 5. महत्वपूर्ण सीमा-संबंधी तथ्य तथ्य विवरण सर्वाधिक जिलों को छूने वाला राज्य उत्तर प्रदेश (14 जिले) कम जिलों को छूने वाला राज्य गुजरात (2 जिले) क्षेत्रफल के आधार पर सर्वाधिक सीमा राजस्थान (मध्य प्रदेश के साथ सबसे लंबी सीमा रेखा बनाता है) कुल सीमावर्ती जिले लगभग 37 जिले (जो पड़ोसी राज्यों को छूते हैं) 6. दो राज्यों की सीमाओं को स्पर्श करने वाले जिले मध्य प्रदेश के लगभग 6 जिले ऐसे हैं जो एक साथ दो पड़ोसी राज्यों की सीमाओं को स्पर्श करते हैं: क्रम जिला प्रथम राज्य द्वितीय राज्य 1. मुरैना राजस्थान उत्तर प्रदेश 2. शिवपुरी राजस्थान उत्तर प्रदेश 3. सिंगरौली उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ 4. बालाघाट छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र 5. अलीराजपुर महाराष्ट्र गुजरात 6. झाबुआ गुजरात राजस्थान
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